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रावण ने नहीं रची थी रावण संहिता! जानिए लंकापति से जुड़े अद्भुत तथ्य
Wednesday, April 11, 2018 IST
रावण ने नहीं रची थी रावण संहिता! जानिए लंकापति से जुड़े अद्भुत तथ्य

महर्षि विश्वेश्रवा का पुत्र तथा ब्रह्माजी का प्रपौत्र रावण
 
आज हम रावण से रिलेटेड कुछ ऐसे तथ्यों की चर्चा करेंगे जिनसे आमतौर पर लोग नहीं ही परिचित हैं। महर्षि विश्वेश्रवा के पुत्र तथा ब्रह्माजी के प्रपौत्र राक्षसराज रावण की शक्ति अथाह थी। सामान्य माइथोलॉजिकल फैक्ट्स की अगर बात करें तो इन सबके पीछे स्वयं ब्रह्माजी के वरदान का प्रभाव था किंतु गहरी पड़ताल से कुछ और भी नई बातें सामने आती हैं, जिन पर गौर करना ही चाहिए।

 
 

 
 
राक्षसराज रावण की चमत्कारिक शक्ति
 
राक्षसराज रावण की चमत्कारिक शक्ति और अथाह ज्ञान क्षमता के पीछे का वास्तविक कारण जानने के लिए कई विद्वानों ने शोधकार्य संचालित किया है। कई ऐसे भी स्कॉलर्स रहे हैं, जिन्होंने रावण की कर्मभूमि श्रीलंका को अपने शोध के लिए चुना तथा तत्कालीन भारत व रामायण युगीन श्रीलंका के संबंधों सहित पूरे रावण खानदान पर विशिष्ट कार्य को अंजाम दिया है।
 
 
अद्भुत तथ्यों की बात
 
निश्चित रूप से रावण की अतुलनीय बुद्धि व युद्ध क्षमता सबकी जिज्ञासा का केंद्र बनी रही है। इसलिए इस आलेख में हम कुछ शोधकर्ताओं द्वारा सामने लाए गए अद्भुत तथ्यों की बात करेंगे।
 
 
पुष्पक विमान को कुबेर से छीना था!
 
सबसे पहला तथ्य कि रावण ने पुष्पक विमान को कुबेर से छीना था, इस पौराणिक तथ्य की शोधकर्ता पूर्णतया उपेक्षा करते हुए कहते हैं कि रावण के पास ऐसे कई विमान थे जो वायु की गति से भी तेज संचालित होते है। इन विमानों की तकनीकी अत्याधुनिक थी, जिन्हें किसी भी मौसम में किसी भी अंश से मोड़ा जा सकता था।
 
 
काबीलियत वाकई हैरतंगेज थी
 
इनकी फ्लेक्जिबिलिटी और गति तथा किसी भी ऊंचाई तक उड़ान भर सकने की काबीलियत वाकई हैरतंगेज थी। आज के युग में भी इस तरह के विमान नहीं बनाए जा सके हैं, जिनमें किसी भी दशा में हर हमले से सुरक्षित हो सकने की क्षमता हो।
 
 
वैमानिक तकनीक का विकास रावण के भ्राता कुम्भकर्ण ने किया
 
आपको वाकई आश्चर्य होगा कि इस तरह की वैमानिक तकनीक का विकास रावण के कनिष्ठ भ्राता कुम्भकर्ण ने किया था।
 
 
रावण संहिता
 
दूसरा हैरान करने वाला तथ्य रावण संहिता से संबंधित है। शायद बहुत से लोग रावण संहिता को रावणकृत जानते हों लेकिन विद्वानों ने इस पर भी अपना अनूठा मत व्यक्त किया है। आम धारणा के विपरीत रावण के पिता महर्षि विश्वेश्रवा ने स्वयं ही इस शास्त्र की रचना की थी तथा रावण ने केवल इसको उन्नत कर प्रायोगिक रूप में लाने की पहल की थी।
 
 
लक्ष्मण ने भी रावण से शिक्षा ग्रहण की
 
इस शास्त्र को बाद में रावण संहिता केवल इसलिए कहा जाने लगा क्योंकि तमाम रचनाकारों ने ऐसा मत व्यक्त किया कि लक्ष्मण ने भी रावण से इस महान ज्योतिष ग्रंथ के बारे में शिक्षा ग्रहण की थी। वस्तुतः मूल रावण संहिता तीन भागों में विभाजित है, जिसका एक भाग पूर्वी उत्तर प्रदेश में, दूसरा केरल में तथा पड़ोसी देश नेपाल में मौजूद है।
 
 
इंसानों की किस्मत का सटीक फलादेश
 
दुनिया के समस्त इंसानों की किस्मत का सटीक व बिल्कुल सही रूप में फलादेश करने के लिए रावण संहिता के तीनों ही भागों का एक साथ होना आवश्यक है किंतु दुर्भाग्यवश ऐसा न होने से इस महान शास्त्र का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
 
 
ज्ञान-विज्ञान के विकास के लिए तत्पर सम्राट
 
रावण के बारे में खोजबीन करने के क्रम में शोधकर्ता इस तथ्य को भी उद्घाटित करते हैं कि वह स्वयं ज्ञान-विज्ञान के विकास के लिए तत्पर सम्राट था और उसने सुदूर दक्षिणी भारत को इसके एक केन्द्र के रूप में विकसित किया था। उसने हर संभव कोशिश करते हुए तत्कालीन विश्व को कई आश्चर्यजनक वैज्ञानिक उपहार प्रदान किए, जिनके पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।

 
 

 
 
 
 
 

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Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
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