पत्रकारिता की आड़ में एक पत्रकार ने खड़ा किया दौलत का अंबार! उसकी दलाली और जालसाजी पर फिदा पी. चिदंबरम ने उसे बनाया अपने साम्राज्य का राजदार!
Thursday, April 26, 2018 IST
वैसे तो वह आज के एबीपी न्यूज से पहले के स्टार न्यूज में भी काम कर चुका है, लेकिन उसके भ्रष्टाचार और दलाली की कहानी परवान चढ़ी ‘राष्ट्रीय सहारा’ अखबार के मुख्य संपादक रहते! दागदार सुब्रह राय सहारा की आंखों का वह तारा था! काले को सफेद करना उसके बाएं हाथ का खेल था! और जब वह सोनिया गांधी और कपिल सिब्बल की मदद से चलने वाली पत्रिका ‘तहलका’ में पहुंचा तो फिर दलाल पत्रकारों का सिरमौर बन गया! पी. चिदंबरम के लिए वह खुलकर जालसाजी करने लगा और देखते ही देखते उसने दौलत का साम्राज्य खड़ा कर लिया। जिस 37 वर्ष की आयु में ज्यादातर पत्रकार अनिश्चितता के भंवर में फंसे होते हैं, वह अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठा! ‘राष्ट्रीय सहारा’ अखबार और ‘तहलका’ जैसी पत्रिका में काम करने की आड़ में क्या पत्रकार उपेंद्र राय ने दलाली कर अरबों की संपत्ति अर्जित की है? क्या पत्रकार उपेंद्र राय लुटियन मीडिया गिरोह में सबसे बड़ा दलाल है?
एक वेबसाइट PGurus के खुलासे के अनुसार, पत्रकारिता की आड़ में जितनी अकूत संपत्ति उपेंद्र राय ने बनाई है, उसे देखकर बड़े-बड़े पत्रकारों के होश उड़ जाएंगे! भ्रष्टाचार के कई मामलों में घिरे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के लिए जालसाजी करने वाले एक पूर्व पत्रकार उपेंद्र राय की आज जितनी संपत्ति है उसका ब्यौरा देखकर आप चौंक जाएंगे। महज 37 साल की उम्र में उसने इतनी संपत्ति जमा कर ली कि आज उसकी जांच की जरूरत है! https://www.pgurus.com/ ने इसके बारे में विस्तार से खुलासा किया है।
मुख्य बातें
* करोड़ों के बंग्ले और फ्लैट्स के अलावा एक पत्रकार के पास आधा दर्जन कारें, आश्चर्य की बात नहीं?
* बदनाम करने के लिए विश्वसनीय अधिकारियों के खिलाफ चिदंबरम की ओर से बेनामी याचिका डालने वाला उपेंद्र राय ही है।
* दिल्ली के पौश इलाके में स्थित जिमखाना क्लब की सदस्यता उपेंद्र राय को किसने दिलाई?
जिस उम्र में एक आम पत्रकार का कोई स्थाई ठौर-ठिकाना नहीं होता है, उस उम्र में लंदन समेत देश के कई शहरों में करोड़ों रुपये के घर और फ्लैट के अलावा आधा दर्जन लग्जरी कारें हों! क्या यह संभव है? जी हां हम बात कर रहे हैं 37 वर्षीय सहारा और तहलका पत्रिका के पूर्व पत्रकार उपेंद्र राय की। वही उपेंद्र राय जिसे सहारा ने महज एक साल में सैलरी के रूप 6 करोड़ रुपये दिए। बाद में उसी सहारा के मालिक सुब्रत राय ने सुप्रीम कोर्ट का डंडा पड़ने पर उपेंद्र राय और उसके भाई को फिक्सर बताते हुए सहारा ग्रुप और उनसे कोई लेना-देना नहीं होने का विज्ञापन प्रकाशित कराया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के विज्ञापन को कोर्ट को मूर्ख बनाने का खेल बताया है।
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