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    • स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है ”
    स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है ”
    Tuesday, February 18, 2020 IST
    स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है ”

    ........ क्योंकि उस क्लास ने दृढ़तापूर्वक यह कहा था कि “समाजवाद सफल होगा और न कोई गरीब होगा और न कोई धनी होगा”, क्योंकि उन सब का दृढ़ विश्वास है कि यह सबको समान करने वाला एक महान सिद्धांत है.....
     

     
     

    तब प्रोफेसर ने कहा– "अच्छा ठीक है ! आओ हम क्लास में समाजवाद के अनुरूप एक प्रयोग करते हैं- सफलता पाने वाले सभी छात्रों के विभिन्न ग्रेड (अंकों) का औसत निकाला जाएगा और सबको वही एक काॅमन ग्रेड दिया जायेगा। ”
     
    पहली परीक्षा के बाद.....
    सभी ग्रेडों का औसत निकाला गया और प्रत्येक छात्र को B ग्रेड प्राप्त हुआl
    जिन छात्रों ने कठिन परिश्रम किया था वे परेशान हो गए और जिन्होंने कम पढ़ाई की थी वे खुश हुए l
     
    दूसरी परीक्षा के लिए कम पढ़ने वाले छात्रों ने पहले से भी और कम पढ़ाई की और जिहोंने कठिन परिश्रम किया था, उन्होंने यह तय किया कि वे भी मुफ़्त का ग्रेड प्राप्त करेंगे और उन्होंने भी कम पढ़ाई की l
     
    दूसरी परीक्षा में ...... 
    सभी का काॅमन ग्रेड D आया l
    इससे कोई खुश नहीं था और सब एक-दूसरे को कोसने लगे।
     
    जब तीसरी परीक्षा हुई....... 
    तो काॅमन ग्रेड F हो गया l
     
    जैसे-जैसे परीक्षाएँ आगे बढ़ने लगीं, स्कोरकभी ऊपर नहीं उठा, बल्कि और भी नीचे गिरता रहा। आपसी कलह, आरोप-प्रत्यारोप, गाली-गलौज और एक-दूसरे से नाराजगी के परिणाम स्वरूप कोई भी नहीं पढ़ता था, क्योंकि कोई भी छात्र अपने परिश्रम से दूसरे को लाभ नहीं पहुंचाना चाहता था l
     
    अंत में सभी आश्चर्यजनक रूप से फेल हो गए और प्रोफेसर ने उन्हें बताया कि - 
     
    "इसी तरह समाजवाद की नियति भी अंततोगत्वा फेल होने की ही है, क्योंकि इनाम जब बहुत बड़ा होता है तो सफल होने के लिए किया जाने वाला उद्यम भी बहुत बड़ा करना होता है l
     
    परन्तु जब सरकारें मेहनत के सारे लाभ मेहनत करने वालों से छीन कर वंचितों और निकम्मों में बाँट देगी, तो कोई भी न तो मेहनत करना चाहेगा और न ही सफल होने की कोशिश करेगा l"

     
     

    उन्होंने यह भी समझाया कि - 
     
    " इससे निम्नलिखित पाँच सिद्धांत भी निष्कर्षित व प्रतिपादित होते हैं -
     
    1. यदि आप राष्ट्र को समृद्ध और समाज को को सक्षम बनाना चाहते हैं, तो किसी भी व्यक्ति को उसकी समृद्धि से बेदखल करके गरीब को समृद्ध बनाने का क़ानून नहीं बना सकते।
     
    2. जो व्यक्ति बिना कार्य किए कुछ प्राप्त करता है, तो वह अवश्य ही अधिक परिश्रम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति के इनाम को छीन कर उसे दिया जाता है।
     
    3. सरकार तब तक किसी को कोई वस्तु नहीं दे सकती जब तक वह उस वस्तु को किसी अन्य से छीन न ले।
     
    4. आप सम्पदा को बाँट कर उसकी वृद्धि नहीं कर सकते।
     
    5. जब किसी राष्ट्र की आधी आबादी यह समझ लेती है कि उसे कोई काम नहीं करना है, क्योंकि बाकी आधी आबादी उसकी देख-भाल जो कर रही है और बाकी आधी आबादी यह सोच कर ज्यादा अच्छा कार्य नहीं कर रही कि उसके कर्म का फल किसी दूसरे को मिलना है, तो वहीं से उस राष्ट्र के पतन और अंततोगत्वा अंत की शुरुआत हो जाती है।

     
     

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    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST


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