अनोखा शिवलिंग – महमूद गजनवी ने इस पर खुदवाया था कलमा
                            
                                
                                Friday, September 7, 2018 IST
                                
                                
                            
                                
	Jharkhandi Shivling Khajani Gorakhpur History : गोरखपुर से 25 किमी दूर खजनी कस्बे के पास एक गांव है सरया तिवारी। यहां  पर महादेव का एक अनोखा शिवलिंग स्थापित है जिसे झारखंडी शिव कहा जाता है। मान्यता है कि यह शिवलिंग कई सौ साल पुराना है और यहां पर इनका स्वयं प्रादुर्भाव हुआ है। यह शिवलिंग हिंदुओं के साथ मुस्लिमों के लिए भी उतना ही पूज्यनीय है क्योंकि इस शिवलिंग पर एक कलमा (इस्लाम का एक पवित्र वाक्य) खुदा हुआ है।
	 
                             
                             
                            
                            
                                
                                
                                
                                    
	महमूद गजनवी ने की थी इसे तोड़ने की कोशिश
	लोगों के अनुसार महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी, मगर वह सफल नहीं हो पाया। इसके बाद उसने इस पर उर्दू में ‘लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह’ लिखवा दिया ताकि हिंदू इसकी पूजा नहीं करें। तब से आज तक इस शिवलिंग की महत्ता बढ़ती गई और हर साल सावन के महीने में यहां पर हजारों भक्तों द्वारा पूजा अर्चना किया जाता है।
	आज यह मंदिर साम्प्रदायिक सौहार्द का एक मिसाल बन गया है क्योंकि हिन्दुओं के साथ-साथ रमजान में मुस्लिम भाई भी यहाँ पर आकर अल्लाह की इबादत करते है।
	 
	 
	स्वयंभू है शिवलिंग
	कहते है की यह एक स्वयंभू शिवलिंग है। लोगों का मानना है कि इतना विशाल स्वयंभू शिवलिंग पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है। शिव के इस दरबार में जो भी भक्त आकर श्रद्धा से कामना करता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते हैं।
	 
	 
	 
                                 
                                 
                                
                             
                            
                                
                                
                                
                                    
	पोखरे में नहाने से ठीक हो जाता है चर्म रोग
	पुजारी आनंद तिवारी, शहर काजी वलीउल्लाह और श्रद्धालु जेपी पांडे के मुताबिक इस मंदिर पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नही लग पाया है। यहां के शिव खुले आसमान के नीचे रहते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर के बगल मे स्थित पोखरे के जल को छूने से एक कुष्ठ रोग से पीड़ित राजा ठीक हो गए थे। तभी से अपने चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिये लोग यहां पर पांच मंगलवार और रविवार स्नान करते हैं और अपने चर्म रोगों से निजात पाते हैं।
	 
                                 
                                 
                                
                             
                         
                        
                        
                         
                        
                        
                         
                        
                         
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