Length cannot be less than zero. Parameter name: lengthIncorrect syntax near ')'. Latest News, India News, Breaking News, Bollywood, Sports : TodayIndya

Latest News

    • Home
    • Spiritual
    • नागचंद्रेश्वर मंदिर – साल में मात्र एक दिन खुलता है मंदिर
    नागचंद्रेश्वर मंदिर – साल में मात्र एक दिन खुलता है मंदिर
    Friday, September 7, 2018 IST
    नागचंद्रेश्वर मंदिर – साल में मात्र एक दिन खुलता है मंदिर

    Nagchandreshwar Temple, Ujjain – हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का,जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्तिथ है। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में मौजूद रहते हैं।

     
     

    नागचंद्रेश्वर मंदिर में  11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है , इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और माँ पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
     
     
    पौराणिक मान्यता – 
    सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सा‍‍‍न्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया ।
     
     
     
    यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिं‍धिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। कहा जाता है इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए। लगभग दो लाख से ज्यादा भक्त एक ही दिन में नागदेव के दर्शन करते हैं।

     
     

     
     
     
     
     

    Related Topics

     
     
     

    Trending News & Articles

     

    More in Spiritual

     
     
     

       Prashnavali

      Thought of the Day

    "गलतियाँ जीवन का एक हिस्सा है पर इन्हें स्वीकार करने का साहस बहुत कम लोगों में होता है।"
    Anonymous

    Be the first one to comment on this story

    Close
    Post Comment
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST


    ads
    Back To Top